शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

जानिए बिहार की प्रसिद्ध मिठाई सिलाव खाजा के बारे में जिसे उद्योग का दर्ज़ा के साथ GI टैग भी मिली हुई है

वैसे तो , बिहार बहुत सारी अनोखी चीजों के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है, परन्तु सिलाव खाजा की बात ही निराली है।  

खाजा का वास्तविक अर्थ

खाजा का वास्तविक अर्थ "खूब खा" और "जा" है जिसकी उत्पत्ति का इतिहास काफी पुराना है। 

सिलाव का खाजा एक प्रकार का मिठाई है जो 52 परतो में बना होता है। खासकर बिहार के नालंदा जिला में इसकी बड़ी महत्त्व है, यही कारण है मांगलिक कार्य में इसका इस्तेमाल खूब होता है। 

सिलाव खाजा कैसा होता है? 

सिलावखाजा अपने स्वाद, कुरकुरापन और बहुस्तरीय उपस्थिति के लिए पुरे विश्व में जाना जाता है जिसका श्रेय स्थानीय जल और सिलाओ की जलवायु को बहुत हद्द तक जाता है। काली शाह के परिवार के सदस्य ने बताया की मूल खाजा 52 पतली आटा-चादरें होती हैं जो एक दूसरे के ऊपर होती हैं। हल्के पीले रंग की मिठाई में सामग्री के रूप में गेहूं का आटा, चीनी, मैदा, घी, इलायची और सौंफ होते हैं।

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सिलाव खाजा की कीमत

सिलाव खाजा में ढेर सारी विशेस्ताओ के वावजूद इसकी कीमत अन्य मिठाई के तुलना में काफी कम है, सिलाव खाजा का कीमत अभी भी 100 INR/KG है।  

सिलाव खाजा का इतिहास

बिहार के इतिहास का अध्ययन करने से पता चलता है कि सिलाव खाजा बुद्ध काल में शुरू हुआ था, जो अभी भी जारी है, सिलाव खाजा  अद्भुत कला का प्रदर्शन करता है जो इसे सभी मिठाइयों से अलग बनाता है।

ऐसा माना जाता है कि काली शाह के परिवार ने खाजा की परंपरा को बरकरार रखा, आज भी इस परिवार के लोग खाजा के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। काली शाह के नाम से कई खाजा दुकानें हैं, जो काली शाह के रिश्तेदार हैं। कुशवाहा परिवार ने भी खाजा व्यवसाय को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अभी सिलाव में 70 से 80 खाजों की दुकान है, जिनका अनुमानित खाजा का व्यापर लगभग 7 करोड़ है। 

सिलाव खाजा के व्यवसाय को मिली उद्योग का दर्ज़ा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लंबे और अथक प्रयासों के कारण, खाजा के व्यवसाय को वर्ष 2015 में उद्योग का दर्जा मिला। सिलाओँ के खाजा को उद्योग का दर्ज़ा प्राप्त होने के बाद इसके व्यवसाय में वृद्धि देखी गयी है। 

सिलाव खाजा को मिली भौगोलिक संकेत टैग GI TAG

जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग मूल रूप से एक माप है, जो किसी खाद्य या कृषि उपज की उत्पत्ति के मूल स्थान को बताता है।  जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग मिली खाद्य या कृषि उपज पर अन्य देशों द्वारा दावा नहीं किया जा सकता है।

सिलाव के खाजा को भौगोलिक संकेत टैग कब मिला?

बिहार के सिलाव खाजा को 11-12-2018 को भारत का भौगोलिक संकेत  (GI TAG) मिला जो अपने आपमें हर्ष की बात है।  Silao Khaja Audyogik Swavalambi Sahakari Samiti Limited  ने भौगोलिक संकेत टैग के लिए 16-08-2016 को आवेदन किया था। 








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